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Chapter 2 - वो लोट आया है

इस कहानी की सिरुवता 1980 के दासक से होती

हैं .पर्थ्वी भारत के एक छोटे सेे गाँव के एक छोटे छोटे से घर के पास लगभग 14 या 15 साल का यावक खड़ा है आचानक 👇 👇👇

एक अaवज आती हैं आओ पागल वो यवका पीछे देखता है तो उस के उमरो के कुछ यावक उस यावक को चिढ़ा रह था तो कोन है ये यावक और क्यों इस यावक को सभी यावक चिढ़ा रह है आया जानते है कहानी की सिरुवता गाँव के एक आन्थाले से होती हैं जहा एक लड़का

आयुष एक अनाथ था गाँव के छोटे से अनाथ आले मै 2 साल तक रहा उस के बाद उस उसी गाँव के एक @मध्यवर्गीय परिवारा a परिवार ने गोद ले लिए था उनकी कोई संतान नही थी लेकिन जब आयुष 5 साल का हुआ था तब उस परिवार के ें के यह 3 जड़वा बच्चों का जन्म हुआ 2 बेटा और एक बेटी इसके बाद आयुष की जिंदगी बदल गया जुओ परिवार उस पहले उस प्यार से रखते था अब उसे बहुत मरते पीठते थे उसे काई दिनों तक खाना पानी नहीं देतें था और उसे मार पिट करते था यह तक की उसे से घर का सारा काम भी करते था जब उनका मन इस से भी नही भरता ते उसे बात बात पे ताने मारते था एक बार जब उस से गलती से एक काच का गिलाश उसके हाथ गिर गया तो उसे उसकी माँ ने उस इतनी जोर से मार पीट की उस कोा 3 4 दिन होस्पीटल मैं भारती करना पड़ा था इस के बाद जब वो वापिशा लोट तो उस घर के सार काम करने पढ़ते साथ ही साथ अब वो ा मध्यवर्गीय परिवार ा परिवार भी अमीर बन गया साथी साथ आयुष पर जुलम बड़ता गाय एक दिन की बात है जब आयुष घर पर काम कर रह था तो उसके हाथ से एक महगी पिल्ट टूथ जाती हैं तो उसकी माँ सावित देवी उस फर्स पर फेक दती है जिस वजह से आयुष के सिर मैं चोट लाग जाती है जिश के कारण आयुष 3 महीने कॉममा मै चला जाता हैं और जब डॉक्टर आयुष के दिमाग का एकसारेे करते है तो पता चलत है कि आयुष के दीमाग मै चट लगी है जिस वजह से वा मूर्ख बन गया है [ लेखाक नोट लेकिन जो बात किसी को नही पता वो ये की उस चटा की के कारण आयुष की आत्मा को दो टुकडा हो गाय एक टुकडा उसके शरीर में है और दुशरा टुकडा cultivtion world चला गया है जो भावीयश मैं लौट गा ] k

फिल्हाल कहानी मैं आगे चौट कि वजह से आयुष का iq नॉर्मल वियकती सो काम हो गया इस वजह से आयुष पहले जो काम आसानी से कर लाता था अब उस उन कार्य करने मै मुसकिलो क समान करना पड़ता था जीस वजह /से उसे और भी तकलीफ झालानी पड़ता ी थीी जब गाँव वाल ने यह देख तो उन लोगों ने उसे उस परिवार से बचय और उस परिवार की पोलिस कंपालने भी की पर अब वे परिवार अब वह का एक उच्वर्गया परिवार बन गया था और साथ वो परिवार शहर मै चला गया जीस वजह से कुछ नहीं हुआ पर गाँव वाल ने आयुष को बाज लिया और उस फिर आन्थाले मैं भहज दिया और साथ ही मै उसे स्कूल भी भजन लगे पर अब जब भी आयुष स्कूल जाता तो कोई उसे कक्षा मै उसे से बाते नहीं करते उस से दूर रह करते लगभग जब तक की वो े 6 वी ई कक्षा मै नहीं तक पहचा जब वो 6 वी ई कक्षा मैं ा आने के बाद जब वे इस साल 6 वी कक्षाा में आया तो उसकी कक्षा में एक नया लड़की आई थाी उस l लड़की का ा नाम जयोतिी था जब उस लड़की ने आयुष को देखा की बच्चों उस तंग कर / रहे है तो उस ने आयुष को उन बच्चों से बचाय और आयुष से उस का नाम पूछा तो आयुष ने डरते डरते अपना नाम बताया ये पहली बार था की जब इतने सालों मै उस से किसी ने बात कि लड़की उस बात कि जयोति ने,े अपनी बच्चों वाली और कोमल आवाज में कहा अच्छ टा तुम्हार नाम आयुष है आयुष ने अपना सिरा हिल्या जयोति ने अपनी बच्चों वालीआवाज मग़र कोमल आवाज में मै 0 पूछा अच्छा आयुष तुम्हारे माता पिता कहा है आयुष न/े मायूसी से कहा मै आनाथ हु जयोति ओ sorry आयुष कोई बात नही अच्छा आयुष तुम्हें ये बच्चों क्यो परसाना कर रहे थे वो मुझे मारी गोद लि हुई माँ ने फर्श पर पटखा दिये था जिस वजह से मारे सर पर चोट लग गया और जब हम docter के पास गाय तो उन्हुने बताया कि मरे सिरा

पर चोट लगा गया जीस वजह से मेरा i q dusro लोग से kaam i q है इस लिए दूसरे मार मजाक उड़ते है और मुझे पागल बोलत है जयोति अपनी कोमल आवाज मै अच्छा तुमे सिरा पर चोट लगी इस वजह स वो बच्चों े तुम पागल कहते है आयुष हा जयोति आयुष मेरी बात सुनो आयुष हा जयोति तुम पागल नहीं हो बात इतनी है कि तुम्हारा दिमाग पर चोट लगा गाय इस वजह से तुमहार् दिमाग दुसरो से काम करता है आयुष अच्छा जयोति हा तों तुम पागल नही हो बस तुम्हारा दिमाग दुशरु से कम काम करता है आयुष ठीक है तो इस तरह से आयुष की पहलां दोस्त बना तो आयुष और जयोति का समय धरे धरे बीत इस एक दिन में आयुष और जयोति की अच्छी दोस्ती हो गाय आज जब आयुष अपनी कक्षा से अपने आन्थाले लोट तो वो बहुत खुश था अगले दिन जब आयुष कक्षा मै पूहचा तो जयोति पहला हि आ चुकी थी जब आयुष ने जयोति के पास पुह्चा ा तो जयोति हेल्लो आयुष क्या तुम स्कूल के बाद तुम्ह आज क्या तुम मारे साथ गुमने मेरा साथ चलगे क्या आयुष टिक है तो चला मारे साथ कुछ नहीं ता चलो मारे साथ हम आज घूमने चलगं आयुष कहा जयोति तुम्हारा लिया एक सपरिस है आयुष ये सपरिस क्या होता है जयोति ओ बुदु सपरिस मतलब तफ़ा आयुष अच्छा जयोति ह चलो जयोति और आयुष गाँव के एक पहाड़ पर चले जाते है जयोति आयुष अपनी आखा बंद कर आयुष क्यो जयोति कर तो आयुष टिक है इतनाa बोल कर आयुष आपन हाथ से अपनne आँखेंा बंद कर लात है जब जयोति यह देखती हो तो वो आयुष के पास जाती हैं और आयुष को धीरे धीरे आगे ले जाती हैं जहा से गाँव की नदी देखती है थी और फिर वो आयुष से अपनne आँखेंा खलने को कहती हैं जब आयुष अपनी आँखें खलता है तो तो वो एक नदी देखता है जयोति अपने

आयुष से कहती हैं आँखें बंद करा और अपने माता पिता को याद कराओ वो जहा कोई भी होगे वह तक तुमेरी आवाज सुन पायग आयुष अच्छा जयोति है मेरी माँ कहती हैं की भगवन जी हमरी बात हमरी माता पिता के पास पहचा देते है आयुष सच मे मेरी आवाज मेरी माता पिता के पास पोहचा जाती हैं जयोति है आयुष माँ पिता जी आप कहा है आप जहा भी हो मुझ यह से ले जाया मै यह बहता आकल हु मुझे आपकी याद आती हैं जयोति अच्छा टिक है अब हमें पहाड़ के नीचे उतरना चाहिए आयुष टिक है इस के बाद आयुष और जयोति पहाड़ से नीचे उतरते हैं और जयोति आपने घर और आयुष आन्थाले चले जाते है अगले दिन ( लेखक नोट भाई लगा सुन्डे था इस लिया जयोति और आयुष घूमने गया थे) 😁😁 चलो कहानी मैं 😁

अगले दिन आयुष और जयोति स्कूल में मिलत है इस ही तरह से दिन बीत है और आयुष और जयोति की दोस्ती भी गहरी हो जाती हैं जाते है और दिन माह और माह और हफ्ता महीन और महीन साल वो दिन भी वो दिन जो हार स्टूडेंट का सपना हाथ है कॉलेज एंटरंस exam जयोति का selection एक बड़ा कॉलेज में हो गया और आयुष फैल हो गाय इस साल आयुष 1 7 साल का हो गाय है जब इस बार जयोति जब आयुष से मिलआई उसके आन्थाले आई तो जयोति ने कहा मै अपनी कॉलेज के लिए शहर जा रही हु आयुष ये बात सुनकर उदश हो गाय इतने सालों में जयोति ही उसकी दोस्त थी और वो भी अब उस छड़ कर जा रही हैं जयोति आयुष का चाहर देख कार समाज जाती हैं है और आयुष से कहती मै तुमसे हर साल मिलने आवगि आयुष ये बात सुनकर खुश हो जात है और उसके बाद आयुष और जयोति बहुत सारी बात करते है अगले दिन जब जयोति शहर जाती हैं तो उसके माता पिता के आलावा आयुष उस रेलवे स्टेशन छ्ने जाते है वह उस देख जयोति बहुत खुश हो जाती हैं लेकिन जब जयोति के माता पिता उस देखता है तो उन गुस्सा आता है मगर वो कुछ बुलाते नही वो लेगा उसे विद करते है इसके बाद आयुष लाठ आता है इस बात आयुष अपने गाँव ही के मिस्त्री के साथ दिहाड़ी करने लागत है साथ ही समय बितान लागत है

ऐश ही दिन हफ्ता और महीन और साल बीत गया आयुष को जिस दिन का वो वकत भी आ गया जयोति उस मिलने आई पर जब जयोति आई तो वो उदास थी जयोति आयुष मै अगर तुम्हें छड़ कर चली जाऊ तो तुम मुझ याद करुगे आयुष ऐश क्यों जयोति मै जा रही हु मैं जानती हु ये बात तुम दुख पोहोचीईगी आयुष कहा जा रही हो मारे मामी पापा परांत की राज दानी जा रह है मै भी उन के साथ जा रही हु ते में भी जा रही हु ते मै भी तुमसे नही मिल पाउंगी आयुष ठीक है जयोति sorry आयुष आयुष कोई बात नही ( लेखाका नोट ये बात किसी को पता नही है कि आयुष कि मुलाकात एक रहस्य माई गुरु से हुई उन्होंने ना केवल आयुष कि सिर की चोट को सही किया बल्कि उस कोई रहस्य माई काला भी सिखाई लेकिन उनन् उसकी याद

और उसके कोसल को शील कर दिया है सही समय के लिए अभी वो केवल एक सादरदना इंसान है कहानी में आगें जयोति एक बार फिर sorry आयुष आयुष कोई बात नही आयुष मुस्करतें हुआ जव अपना ध्यान रखना और 😁मुझे भूल मात जान जयोति नही मै तुम्हें काश भूल सकती हु तुम मेरा सब से प्यारे दोस्त है जिसके साथ मैन अपनी जीवन का सबसे अच्छा समय बिताया है मै तुम कभी नहीं भलुगी जयोति वश आयुष आयुष है बोलो क्या बात है जयोति जब मै इस साल कॉलेज गया तो मुझे एक लड़के से प्यारे हो गया और वो भी परांत से ही है से है तो मुझ उसके साथ रहन चाहिए या नही आयुष ये बात तो मुझे नही पता कि तुम उस लड़केे के पीछा करना चाहिए या नही पर है अगर वो लड़का तुम परशना कर तो मुझ बातन मै उस पिट दूगां जयोति हस्त हुए एसी कोई बात नही है वो लड़का बहत अच्छा है आयुष अच्छा इस के बाद आयुष और जयोति बहुत सारी बात करते है और साथ ही मै उस पहाड़ पर भी जाते है जहा जयोति आयुष को बचपन में ले गाय थी [लेखक नोट जो बात किसी को नही पता वो ये की आयुष और उसके गुरु की मुल्कता यही हुई थी जब वो इस पहाड़ पर आया था आ] कहानी में आगे इस के बाद आयुष और जयोति उस पहाड़ पर गूमात् है और gघूमते े के बाद आयुष और जयोति लौट आते हैं इसके बाद आयुष और जयोति पुर गाँव घूमते हैं और इस तरह कब वकत बीत जात है पता भी नही चलता और श्याम हो जाती ह अगली सुबह आयुष जयोतिऔर उसके परिवार को रेलवे स्टेशन चड़ने जाता है जहा जयोति इमोसानाल हु जाती हैं जयोति आयुष अपना दयान रखना इस के बाद ट्रेन जलने लगती हैं ट्रेन आगे बढ़ रही है जयोति उसे ट्रेन से देखती है जब ट्रेन आयुष की आखो से दूर निकल जाती हैं तब आयुष की नाजर एक पल के लिए ठण्डी हो जाती है पर अगले ही पाल वो नॉर्मल हो जाती है इस के बाद आयुष गाँव लेओट जात है अपनी दोस्त जयोति के जाने के बाद आयुष अब इस गाँव मै अकेला हो जाता हैं अगले दिन आयुष अपने काम पर लौट आता है वह पर वो पूरे दिन काम करता है

काम करने के बाद जब आयुष अपने आन्थाले पहचा तो वो आज उदास था कायकी जो उसकी एक दोस्त थी वो भी चली गई आज फिल्हाल वो अपने कमरे मै आता है और अपना हाथ और मु दोकर् आपने कमरे मे बैठ जाता हैं और बैठ बैठ ही सो जाता हैं उसकी निदा तब खुलती हैं जब कोई उसका दरवाजा खटखटाता है जब आयुष उठा कर दरवाजा खोलता है तो वो देखता है तो उस के दरवाजा पर मोहन का का खड़ाa था जब आयुष उन्हों देखता है तो वो उन्हों से पूछता है आयुष क्या बात है मोहन का का _ मोहन का का आयुष मुझे तुम से बात करनी है आयुष क्या बात करनी है आया अंदर बात करते है इतना कहा कर आयुष मोहन का का कमरे के आंदरा बुला लात है आयुष बोलाइयाँ मोहन का का _ मोहन का का आयुष मिझे तुम्हारे जन्म से जुड़ी हुई बात करनी है आयुष मैरे जन्म से जुड़ी हुई ? ? आयुष हरानी से आ मारे जन्म से जुड़ी हुई बात मोहन का का हा इस के बात मोहन का का अपनी जाब से एक लॉकेट निकलता है और आयुष को दे दे देते है आयुष जब उस लॉकेट को खुलता है तो उस मै 25 से 26 साल के जोड़ कि तासीवीर थी आदमी बिल्कुल किसी गिरिका गॉड की तरह दिखता था और औरत किसी गिरिका गोडेस्से की तरह आयुष और उस आदमी का चाहेर मिलत जुलता था जब आयुष उस लॉकेट को देखता है तो मानो वो किसी और ही दुनिया मै पहचा गया हो वो जब जगत है जब आयुष को मोहन का का की आवाज आती है मोहन का का आयुष जब आयुष मोहन का का की आवाज से अपनी तंद्र से जगत है आयुष हा मोहन का का आप क्या कहा रह थे तुम जब मुझे आनाथ आश्रम के दरवाजा के पास मिले थे तो ये लॉकेट तुम्हारे गाले मै था इस के बाद मोहन का का आयुष को आरम करने को कहते है और चले जाते है मोहन का का जनते थे कि आयुष को सभी बातों को समझाने के लिए वाकता चाहिय 3 महीन बाद आज आयुष शहर जा रहा है इन 3 महीन मै आयुष ने अपने बारे में सोच समझ और वो अब आपने माता पिता को ढूडन चाहत है और उन से पूछान चाहत है कि उसे उसके माता पिता ने उसके जन्म के बाद ही क्यो आनाथ आश्रम में क्यो डाल दिया था (लेखक नोट यह से हमरे हिरो के सफर की सिर्वत होती हैं)/

कहानी में आगे आयुष इस वकत रेलवे स्टेशन पे खड़ा है उसने टिकट पहला हि खरीद लिया हैं वो हरि पुर शहर जा रहा है उसने मोहन का का और आपने बाकी साथियों से पहले ही आल्विदा कहा दिया है मोहन का का और बाकी सब ने पहले जब ये सुन कि वो सहारे जा रहा है तो पहले तो उन्होंने मन कर दिया पर जब उसने उन्हे बहुत समझाया जब जा कर उन्होंने उस जाने दिया जब वो जा रहा था तो सभी लोग बहुत भा भुक् हो गया था जब रेल की गाडी के हारने कि आवाज आया तो अपनी याद से बाहर आया यात्री किरपीय ध्यान दें हरि पुर शहर जाने वाली ट्रेन 1 घंटे.

परस्थां करेगी तो आपने ट्रेन के टिकेट चिएका कर ले धोंनेवाद / सूचना सम्पत आयुष आपने आशा पास देखता है उसे भूखा लगी थी वह से वा कुछ बिस्कुट और नोडल के पाकित खरीदता है और उन खाता है और कुछ रखा भी लेता है आगे सफर के लिया और ट्रेन के चलन का इतजार करने लगता हैं किसी तरह से वो वकत गुजरता है और जलता ही यात्री करपिय धयान दे हरि पुर शहर जाने वाली ट्रेन निकालने वाले है कर्पिय आपने टिकट चेक कर ले और ट्रेन मै चड जाय धनियवाद आयुष ट्रेन मै चड जाता हैं हमार हरि निकल चुका है अपने पहले सफर पर 4 घंटे बाद आयुष हरि पुर शहर पहुँच जाता हैं आयुष ट्रेन से निकलता है और रेलवे स्टेशन पर उतर आता है आयुष को नही पता है कि आगे कहा जन है वो फिलहाल रेलवे स्टेशन से निकलता है और श्याम का वकत हो चुका है तभी आयुष के समान 4 लोग उन कि age लगभग 3 0 से 3 5 आ जाता है और उसे से कहते हो ए लड़के आगर जींद रहने चाहत है तो तेरा पास जो कुछ भी है वो हमें सों पा दे वरना हम तुझे मार डाला गो आयुष ये बात सुन कर चुका जाता है आयुष कोन हो तुम लोग क्या चाहत हो आयुष कि ये बात सुन कर वो 4 जिनकी लोग हसन लगते है हा हा हा उन मै से जिसका नाम सोहन था वो बलता है हम कोन है इस से तुझे कोई मतलब नही होना चाहिए ये लोग यह के कोखायत चोर है जिसमें पहले का नाम सोहन दूसरे का नाम रोहन और तीसरे का नाम मोहन और चुथा का नाम गबर फिलहाल वो सोहन आयुष से कहता है ए लड़के मारना नही चाहत तो तेरा पास जितना भी समान है वो हम सपा दे ये बात सुन कर आयुष को गुशा आ जाता हैं कायकि एक तो वो अभी अभी अपने गाँव से शहर आया है, और उसे नही पता कि आगे कहा जन हे और ऊपर से ये लोग उसे उसका समान मांगने लगते है अभी आयुष उन लोगों से कुछ कहता उस से पहले ही लु लू लू पोलिस कि गाड़ी के साइ रना कि आवाज आती हैं पोलिस के गाड़ी के साइ रना की आवाज आता ही उन चार लोगों के हवा भाव बदल जाते है अभी वो लोग वह से भाग पता उस से पहले ही पोलिस कि गाड़ी उन के सामने आ जाती हैं और उस गाड़ी से चार पोलिस वाले निकलते है सब इन स्पकट आर अभी राम सिंह और उन के तीन जूनियर उतरते हैं और अभी राम सिंह हा भी क्या हो रहा है यह उन की ये बात सुन कर वो चारों लोग रोने से हसी के साथ कहते है सर कुछ नही हम तो बस इस लड़के कि मतता कर रहे थे 😁 ये लड़का यह पर नया है सब इन स्पकट अभी राम सिंह 3 बार अच्छा अच्छा अच्छा तो तुमन चोरी डाकती छोड़ दिया sir हम लोग कहा चोरी डाकती करते है किसने आप को हमरे बार मे गलत बोल होगा सब इन स्पकट अभी राम सिंह अच्छा तो आप लोगों के बार मै हमें / े किसी ने गलत बार मै गलत बोल होगा हना उन चारों मै से मोहन जी है sir जी हम लोग सरीफ लोग हैं सब इन स्पकट अभी राम सिंह अच्छा तुम लोग अच्छा इंसान हो 😠अब तो सच बोल दे tarnkan tarnka तो तुम लोग अब भी सच नही बोलो गे हा ना अच्छा ठीक है फ़िर मैं तुम सबूत दे दे ता हु इस के बाद सब इन स्पकट अभी राम सिंह आयुष कि और देखता है जो जब से जुप चाप वाह खड़ा था सब इन स्पकट अभी राम सिंह छोटे लड़के ये लोग तुम क्या कहा रहे थे आयुष सब इन स्पकट अभी राम सिंह कि बात सुन कर अपनी तंत्र lआ से जगत है आयुष जी sir सब इन स्पकट अभी राम सिंह ये लोग तुम से क्या कहा रह था आयुष sir मै आज ही गाँव से शहर आया हु इस के बाद आयुष सब इन स्पकट अभी राम सिंह को बतात है कि वो काश यह पहचा और काश इन चोर लोगों ने उसका रास्ता रोक और काश उस damkaya आयुष कि ये बात सुन कर उन चार लोगों का चाहर का ला पड़ जाता हैं आयुष की सारी बात सुन ने के बाद सब इन स्पकट अभी राम सिंह उन चार कि तरफ देखता जिन का चाहर काला पड़ गया था

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